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Ramkishor YadavMar 14, 2024

भारतीय शहद निर्यात में नए निर्देश: मधुमक्खीपालकों के लिए एक उम्मीद की किरण

भारत में शहद निर्यात पर MEP ( मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइज ) 2000$/टन लागू
 

शहद के निर्यात पर सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए दिसंबर तक 2,000 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया है। यह नया निर्देश बिना तारीख की घोषणा के तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है जिसका मतलब है कि इस न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) से कम कीमत पर शहद का निर्यात नहीं किया जाएगा।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के एक अधिसूचना के अनुसार, यह नया निर्देश 31 दिसंबर, 2024 तक लागू होगा या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो। यह निर्देश अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख निर्यात गंतव्यों को भी समाहित करता है।

शहद उत्पादकों और निर्यातकों की अग्रणी संस्था, ‘कनफेडरेशन आफ एपिकल्चर इंडस्ट्री’ ( CAI ) के वरिष्ठ पदाधिकारी ने इस कदम को देश के शहद उत्पादक किसानों के लिए बेहतर कदम बताते हुए कहा कि इससे किसानों को अच्छे दाम प्राप्त होंगे।   उन्होंने कहा, ‘‘शहद निर्यातक आपस की प्रतिस्पर्धा के कारण शहद कम दाम पर निर्यात कर रहे थे और इस वजह से शहद उत्पादक किसानों से सस्ते दाम पर शहद खरीद करते थे। निर्यातकों को वर्ष 2022-23 में शहद निर्यात के लिए लगभग 3,000 डॉलर प्रति टन का दाम मिलता था जो आपस की प्रतिस्पर्धा की वजह से मौजूदा समय में घटकर 1,400 डॉलर प्रति टन रह गया है। लेकिन पिछले महीने वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, राजेश अग्रवाल (जिनके अंतर्गत डीजीएफटी आता है) के साथ हुई सीएआई के शहद उत्पादक किसानों और शहद निर्यातकों की बैठक में यह परस्पर सहमति बनी कि एमईपी लगाये जाने के बाद निर्यातकों को शहद ऊंचे दाम पर बेचना होगा और अधिक कीमत मिलने पर उन्हें किसानों को अधिक भुगतान करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि "चालू वित्त वर्ष (2023-24) में अप्रैल-जनवरी के दौरान प्राकृतिक शहद के निर्यात से प्राप्ति 2022-23 के 20.3 करोड़ डॉलर के मुकाबले घटकर 15 करोड़ 32.1 लाख डॉलर रहने की वजह निर्यातकों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण कम दाम पर शहद निर्यात करने की होड़ थी"।
 

शहद उत्पादक किसानों के लिए यह एक अच्छी खबर है, क्योंकि पिछले समय में निर्यातकों के द्वारा शहद की कीमतों में कमी आई थी। अब, नए निर्देशों के अनुसार, उन्हें अधिक दाम मिलेगा।

चालू वित्त वर्ष (2023-24) में शहद की निर्यात से प्राप्ति में कमी आई थी, जो कि निर्यातकों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण हुई थी। लेकिन नए निर्देशों के अनुसार, यह स्थिति सुधारेगी।

इस नए निर्देश के साथ, सरकार ने शहद उत्पादक किसानों के हित में कदम उठाया है। यह एक सकारात्मक कदम है जो शहद उत्पादकों को अधिक लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा।

आखिरकार, इस नए निर्देश का उद्देश्य भारतीय शहद उत्पादकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है और उन्हें अधिक लाभ प्राप्त करने में मदद करना है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारतीय प्राकृतिक शहद क्षेत्र को और अधिक समृद्ध बनाने में मदद करेगा।